इटावा यादव कथावाचक मामला: क्या है पूरा सच?
इटावा में कथावाचक विवाद की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में यादव कथावाचकों के साथ हुई बदसलूकी ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। 21 जून को एक भागवत कथा के आयोजन के दौरान दो कथावाचकों, संत सिंह यादव और मुकुट मणि, पर ब्राह्मण परिवार द्वारा जाति के आधार पर छिपाने का आरोप लगाया गया। इसके बाद, कथावाचकों की चोटी काटने और उनके साथ मारपीट की खबरें सामने आईं। इस घटना ने न केवल सामाजिक तनाव को जन्म दिया, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी।
अखिलेश यादव और केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले में बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इसे जातिगत भेदभाव और यूपी में कानून-व्यवस्था की विफलता का प्रतीक बताया। दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश पर समाज को बांटने का आरोप लगाया। इस विवाद ने यादव बनाम ब्राह्मण की सियासत को और तेज कर दिया, जिससे अहीर रेजिमेंट और पुलिस के बीच झड़प और पथराव की घटनाएं भी सामने आईं।
पुलिस और प्रशासन का एक्शन
पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया और कथावाचकों के खिलाफ भी FIR दर्ज की। जांच को निष्पक्ष रखने के लिए यह केस अब झांसी पुलिस को सौंप दिया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और मानवाधिकार आयोग तक पहुंचने के बाद यह मामला और गंभीर हो गया है।
समाज में उठ रहे सवाल
क्या यादव समाज का व्यक्ति कथावाचक नहीं हो सकता? यह सवाल अब पूरे यूपी में गूंज रहा है। इस घटना ने जातिगत तनाव को उजागर किया है और समाज में एकता की जरूरत पर बल दिया है।